Pay your maintenance before due date.


1234


Thursday, 24 August 2017

श्री हनुमान चालीसा



।।दोहा।।
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि|
बरनौ रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि ||

बुद्धिहीन तनु जानि के, सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ||

।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिंहु लोक उजागर ||1||

रामदूत अतुलित बल धामा | अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||2||

महाबीर बिक्रम बजरंगी | कुमति निवार सुमति के संगी ||3||

कंचन बरन बिराज सुबेसा | कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||4|

हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे | कान्धे मूंज जनेऊ साजे ||5||

शंकर सुवन केसरी नन्दन | तेज प्रताप महा जग बन्दन ||6||

विद्यावान गुनी अति चातुर | राम काज करिबे को आतुर ||7||

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | रामलखन सीता मन बसिया ||8||

सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा | बिकट रूप धरि लंक जरावा ||9||

भीम रूप धरि असुर संहारे | रामचन्द्र के काज सवारे ||10||

लाये सजीवन लखन जियाये | श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||11||

रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई | तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||12||

सहस बदन तुम्हरो जस गावें | अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें ||13||

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा | नारद सारद सहित अहीसा ||14||

जम कुबेर दिगपाल हाँ ते | कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||15||

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा | राम मिलाय राज पद दीन्हा ||16||

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना | लंकेश्वर भये सब जग जाना ||17||

जुग सहस्र जोजन पर भानु | लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||18||

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि | जलधि लाँघि गये अचरज नाहिं ||19||

दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||20||

राम दुवारे तुम रखवारे | होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||21||

सब सुख लहे तुम्हारी सरना | तुम रक्षक काहें को डरना ||22||

आपन तेज सम्हारो आपे | तीनों लोक हाँक ते काँपे ||23||

भूत पिशाच निकट नहीं आवें | महाबीर जब नाम सुनावें ||24||

नासे रोग हरे सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||25||

संकट ते हनुमान छुड़ावें | मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||26||

सब पर राम तपस्वी राजा | तिनके काज सकल तुम साजा ||27||

और मनोरथ जो कोई लावे | सोई अमित जीवन फल पावे ||28||

चारों जुग परताप तुम्हारा | है परसिद्ध जगत उजियारा ||29|||

साधु संत के तुम रखवारे | असुर निकंदन राम दुलारे ||30||

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता ||31||

राम रसायन तुम्हरे पासा | सदा रहो रघुपति के दासा ||32||

तुम्हरे भजन राम को पावें | जनम जनम के दुख बिसरावें ||33||

अन्त काल रघुबर पुर जाई | जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||34||

और देवता चित्त न धरई | हनुमत सेई सर्व सुख करई ||35||

संकट कटे मिटे सब पीरा | 
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा ||36||

जय जय जय हनुमान गोसाईं | कृपा करो गुरुदेव की नाईं ||37||

जो सत बार पाठ कर कोई | छूटई बन्दि महासुख होई ||38||

जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा | होय सिद्धि साखी गौरीसा ||39||

तुलसीदास सदा हरि चेरा | कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||40||

।।दोहा।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ||

सियावर रामचंद्र की जय | पवनसुत हनुमान की जय ||
उमापती महादेव कि जय | बोलो भाई सब संतो कि जय ||



Search


Request to all Member Joint us on the Whatsapp