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Thursday, 24 August 2017

श्री शनिदेवाची आरती


जय जय श्री शनिदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा | आरती ओवाळिती | मनोभावे करुनी सेवा || धृ ||

सूर्यसुता शनीमूर्ती || तुझी अगाध कीर्ती | एक मुखे काय वर्णू | शेषा चले स्फूर्ती || जय ||

नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ | पराक्रम थोर तुझा | ज्यावरी कृपा करिसी | होय रंकाचा राजा || जय || ||

विक्रमासारीखा हो शककर्ता पुण्यराशी | गर्व धरितां शिक्षा केली | बहु छळियले त्यासी || जय || ||

शंकराच्या वरदाने | गर्व रावणे केला | साडेसाती येतां त्यासी | समूळ नाशासी नेला || जय || ||

प्रत्यक्ष गुरुनाथा | चमत्कार दावियेला | नेऊनि शूलापाशी | पुन्हा सन्मान केला || जय || ||

ऐसे गुण किती गाऊ | धनी पुरे गातां || कृपा करी दीनावरी | महाराजा समर्था || जय || ||

दोन्ही कर जोडूनिया रखमां लीन सदा पायीं | प्रसाद हाची मागे | उदयकाळ सौख्य दावी |

जय जय श्री शनिदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा || ||


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