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Sunday, 10 September 2017

आरती जय जय जगदीश हरे


जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनो कें संकट क्षण में दूर करे || S || 

जो घ्यावे फल पावे दु: विनशे मनका | सुख संपती घर आवे कष्ट मिटे तनका || S || 

मात पिता तुम मेरे शरण गहू किसकी | तुम बिन और दूजा आस करू किसकी || s || 

तुम हो पुरण परमात्मा तुम अंतरयामी | पार ब्रम्ह परमेश्वर तुम सबके स्वामी || S || 

तुम करुणा कें सागर तुम पालन कर्ता | मैं मुरख खल कामी कृपा करि भरता || S || 

तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपती | स्वामी किस विधी मिलू दयामय तुमको मैं कुमति || ||

दिन बंधू दुखहर्ता तुम रक्षक मेरे अपने हाथ उठाओ शरण पडा तेरे || || 

विषय विकार मिटाओ पापा हरे देवा | श्रद्धा भक्ति बधाओ संतन की देवा || ||

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